जीवन में सही लक्ष्य बनाना और उस पर फोकस करना, आखिर क्यों इतना जरूरी है। रविवार का दिन था। आनंद और कंचन, ने तीरअंदाजी करने का सोचा। धनुष और तीर लेकर, पिता के साथ, पास के मैदान में गए। कंचन ने, एक छोटा सा फूल, एक पेड़ की एक शाखा से लगा दिया। और आनंद की आंखों पर पट्टी बांधकर, उस पर निशाना लगाने को कहा। पेड़ से बहुत दूर खड़े होकर, आनंद ने निशाना लगाया। और कंचन को कहने लगा- जाओ देखो और चेक करके मुझे बताओ कि मेरा निशाना सही लगा है या नहीं।
कंचन ने जाकर चेक किया और उसे वापस आकर कहा- नहीं, तुम्हारा निशाना, फूल पर तो क्या, पेड़ पर भी नहीं लगा है। तब उनके पिता ने उन्हें समझाया- हम कभी, ऐसे लक्ष्य को नहीं भेद पाएंगे, जिसे हम देख नहीं सकते। चाहे आपने कितनी ही एकाग्रता और ताकत लगा दी हो। इस कहानी का सार, यह है कि आप जहां पहुंचना चाहते हैं, जो पाना चाहते हैं, सबसे पहले आपको अपना लक्ष्य पहचानना होगा! एक गोल सेट करना होगा।